भीमबेटका गुफ़ाएं
💟👉भीमबेटका गुफ़ाएँ 📚📚
👉भीमबेटका भारत के मध्य-प्रदेश राज्य के रायसेन जिले में एक पुरापाषाणिक पुरातात्विक स्थल है। जो मध्य-प्रदेश राज्य की राजधानी भोपाल के दक्षिण-पूर्व में लगभग 46 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। भीमबेटका यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों में से एक है और इस स्थल को सन 2003 में वर्ल्ड हेरिटेज साइट घोषित किया जा चुका है। इस प्रकार की सात पहाड़ियाँ में से एक भीमबेटका की पहाड़ी पर 750 से अधिक रॉक शेल्टर (चट्टानों की गुफ़ाएँ) पाए गए है जोकि लगभग 10 किलोमीटर के क्षेत्र में फैले हुए है। भीमबेटका भारतीय उपमहाद्वीप में मानव जीवन की उत्पति की शुरुआत के निशानों का वर्णन करती है। इस स्थान पर मौजूद सबसे पुराने चित्रों को आज से लगभग 30,000 साल पुराना माना जाता है। माना जाता है कि इन चित्रों में उपयोग किया गया रंग वनस्पति था। जोकि समय के साथ-साथ धुंधला होता चला गया। इन चित्रों को आंतरिक दीवारो पर गहरा बनाया गया था।
👉इन गुफाओं के दक्षिण में सतपुड़ा पहाड़ियों की क्रमिक श्रेणियाँ हैं। यह रातापानी वन्यजीव अभयारण्य के अंदर है, जो विंध्य रेंज की तलहटी में, बलुआ पत्थर की चट्टानों में अंत:स्थापित है। भीमबेटका साइट में सात पहाड़ियाँ शामिल हैं: विनायका, भोंरावली, भीमबेटका, लाखा जुआर (पूर्व और पश्चिम), झोंद्रा और मुनि बाबाकी पहाड़ी।
💟👉भीमबेटका का इतिहास –
👉भीमबेटका का इतिहास बहुत पुराना है और सबसे पहले एक ब्रिटिश अधिकारी डब्लू किन्काइद ने सन 1888 के दौरान एक विद्वान के पत्र के माध्यम से भीमबेटका स्थान का वर्णन किया था। उन्होंने भोजपुर क्षेत्र के आदिवासियों से मिली जानकारी के आधार पर भीमबेटका नामक इस स्थल को एक बौद्ध स्थल के रूप में स्थान दिया। सबसे पहले इन गुफाओं की खोज करने वाले पहले पुरातात्विक वी.एस.वाकणकर थे। उन्होंने यहा की रॉक संरचनाओ को देखने के बाद एक टीम बनाकर इस क्षेत्र का दौरा किया। उन्हें ऐसा लगा की यह रॉक शेल्टर वैसी ही है, जैसी फ्रांस और स्पेन में देखी गयी थी। उन्होंने सन 1957 के दौरान इस जगह पर विधमान कई प्रागैतिहासिक रॉक आश्रयों की सूचना दी।
👉भीमबेटका की गुफ़ाएँ आदि-मानव द्वारा बनाये गए शैलचित्रों और शैलाश्रयों के लिए प्रसिद्ध है। यहां बनाये गए चित्र भारतीय उपमहाद्वीप में मानव जीवन के सबसे प्राचीनतम चिह्न हैं।
👉यहाँ पर अन्य पुरातात्विक अवशेष भी मिले हैं जिनमें प्राचीन किले की दीवार, शुंग-गुप्त कालीन अभिलेख, लघुस्तूप, पाषाण काल में निर्मित भवन, शंख के अभिलेख और परमार कालीन मंदिर के अवशेष सम्मिलित हैं।
💟👉भीमबेटका में चित्रों
👉चित्रों को बड़े पैमाने पर दो समूहों में वर्गीकृत किया गया है, एक शिकारी और भोजन इकट्ठा करने वालों के चित्रण के रूप में, जबकि एक अन्य लड़ाकू विमानों के रूप में, घोड़ों और हाथी पर सवार होकर धातु हथियार लेकर।
👉चित्रों का पहला समूह प्रागैतिहासिक काल का है जबकि दूसरा ऐतिहासिक समय का है। ऐतिहासिक काल के अधिकांश चित्रों में तलवार, भाले, धनुष और तीर चलाने वाले शासकों के बीच लड़ाई को दर्शाया गया है।
👉एक उजाड़ भीमबेटका की गुफा में, त्रिशूल के समान औजार को पकड़ने और नृत्य करने वाले व्यक्ति का नाम पुरातत्वविद वी एस वाकणकर द्वारा “नटराज” रखा गया है। यह अनुमान लगाया गया है कि कम से कम 100 चट्टानों वाले चित्रों को मिटा दिया गया होगा या वह स्वयं ही नष्ट हो गई होंगीं।
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