भारतीय संविधान में समानता का अधिकार

 भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 से 18 तक समानता का अधिकार नागरिकों को दिया गया इसे हम निम्नलिखित प्रकार से समझ सकते हैं ।

 *अनुच्छेद 14 (विधि के समक्ष समता और विधियों के समान संरक्षण)

  अनुच्छेद 14 में कहा गया है कि राज्य भारत के राज्य क्षेत्र में किसी व्यक्ति को विधि के समक्ष समता से या विधियों के समान संरक्षण से वंचित नहीं करेगा।

 प्रत्येक व्यक्ति चाहे वह नागरिक हो या विदेशी सब पर यह अधिकार लागू होगा। इसके अतिरिक्त व्यक्ति  शब्द में विधिक व्यक्ति अर्थात संवैधानिक निगम, कंपनियां , पंजीकृत समितियां या किसी भी अन्य तरह का विधिक व्यक्ति सम्मिलित है ।

*अनुच्छेद 15: कुछ आधारों पर विभेद का प्रतिशत-  

अनुच्छेद 15 में यह व्यवस्था दी गई है कि राज्य किसी नागरिक के प्रति केवल धर्म , मूल वंश , जाति , लिंग , जन्म , स्थान को लेकर विभेद नहीं करेगा । अनुच्छेद 15 की दूसरी व्यवस्था में कहा गया है कि कोई नागरिक केवल धर्म , मूल वंश , जाति , लिंग , जन्म , स्थान इनमें से किसी के आधार पर

   (अ) दुकानों , सार्वजनिक स्थानों में प्रवेश या। (ब) पूर्णतः या भागत: राज्य निधि  से प्रेषित या साधारण जनता के प्रयोग के लिए समर्पित कुओं , तालाबों , स्नान का घाटों,  दायित्वों, निबर्धनों के अधीन नहीं होगा। 

  यह प्रावधान राज्य एवं व्यक्ति दोनों के विरुद्ध विभेद का प्रतिषेध करता है।

*अनुच्छेद 16:-लोक नियोजन में अवसर की समानता-

अनुच्छेद 16 के अनुसार धर्म, जाति, नस्ल, लिंग आदि के आधार पर विवेद नहीं किया जाएगा। ( राज्य के अधीन किसी पद पर नियोजन या नियुक्ति से संबंधित विषयों में सभी नागरिकों के लिए अवसर की समता होगी।)

*अनुच्छेद 17: अस्पृश्यता का अंत-

अनुच्छेद 17 को अस्पृश्यता को समाप्त करने की व्यवस्था और किसी भी रूप में इसका आचरण निषिद्ध करता है। अस्पृश्यता से उपजी किसी निर्योग्यता को लागू करना अपराध होगा, जो विधि के अनुसार दंड नहीं होगा।

*अनुच्छेद 18: उपाधियों का निषेध-

इस अनुच्छेद में चार प्रावधान है।

१. यह निषेध करता है कि राज्य सेना या विद्या संबंधी सम्मान के सिवाए और कोई उपाधि प्रदान नहीं करेगा।

२. यह निषेध करता है कि भारत का कोई नागरिक विदेशी राज्य से कोई उपाधि प्राप्त नहीं करेगा।

३. भारतीय नागरिक या विदेशी जो भारत में लाभ के पद को धारण करता है, राष्ट्रपति की पूर्व अनुमति पर विदेशी राज्य से पद लाभ उपहार ले सकता है ‌।

४. विदेशी नागरिक जो भारत में लाभ के पद पर कार्यरत है, विदेशी राज्य से उपाधि ले सकता है।

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